Not known Details About Shodashi
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The Matrikas, or even the letters from the Sanskrit alphabet, are deemed the refined method of the Goddess, with each letter holding divine power. When chanted, these letters Incorporate to kind the Mantra, creating a spiritual resonance that aligns the devotee Along with the cosmic Power of Tripura Sundari.
कर्तुं श्रीललिताङ्ग-रक्षण-विधिं लावण्य-पूर्णां तनूं
Her representation is not static but evolves with creative and cultural influences, reflecting the dynamic character of divine expression.
साम्राज्ञी चक्रराज्ञी प्रदिशतु कुशलं मह्यमोङ्काररूपा ॥१५॥
Upon walking in the direction of her historical sanctum and approaching Shodashi as Kamakshi Devi, her ability improves in intensity. Her templed is entered by descending down a dim slim staircase having a group of other pilgrims into her cave-llike abode. There are various uneven and irregular actions. The subterranean vault is incredibly hot and humid and but You will find there's experience of safety and and defense during the dim light-weight.
उत्तीर्णाख्याभिरुपास्य पाति शुभदे सर्वार्थ-सिद्धि-प्रदे ।
कैलाश पर्वत पर नाना रत्नों से शोभित कल्पवृक्ष के नीचे पुष्पों से शोभित, मुनि, गन्धर्व इत्यादि से सेवित, मणियों से मण्डित के मध्य सुखासन में बैठे जगदगुरु भगवान शिव जो चन्द्रमा के अर्ध भाग को शेखर के रूप में धारण किये, हाथ में त्रिशूल और डमरू लिये वृषभ वाहन, जटाधारी, कण्ठ में वासुकी नाथ को लपेटे हुए, शरीर में विभूति लगाये हुए देव नीलकण्ठ त्रिलोचन गजचर्म पहने हुए, शुद्ध स्फटिक के समान, हजारों सूर्यों के समान, गिरजा के अर्द्धांग भूषण, संसार के कारण विश्वरूपी शिव को अपने पूर्ण भक्ति भाव से साष्टांग प्रणाम करते हुए उनके पुत्र मयूर more info वाहन कार्तिकेय ने पूछा —
बिंदु त्रिकोणव सुकोण दशारयुग्म् मन्वस्त्रनागदल संयुत षोडशारम्।
The legend of Goddess Tripura Sundari, also referred to as Lalita, is marked by her epic battles from forces of evil, epitomizing the Everlasting struggle between great and evil. Her tales are not merely tales of conquest but additionally have deep philosophical and mythological significance.
॥ अथ श्रीत्रिपुरसुन्दरीचक्रराज स्तोत्रं ॥
यह देवी अत्यंत सुन्दर रूप वाली सोलह वर्षीय युवती के रूप में विद्यमान हैं। जो तीनों लोकों (स्वर्ग, पाताल तथा पृथ्वी) में सर्वाधिक सुन्दर, मनोहर, चिर यौवन वाली हैं। जो आज भी यौवनावस्था धारण किये हुए है, तथा सोलह कला से पूर्ण सम्पन्न है। सोलह अंक जोकि पूर्णतः का प्रतीक है। सोलह की संख्या में प्रत्येक तत्व पूर्ण माना जाता हैं।
संक्रान्ति — प्रति मास जब सूर्य एक संक्रान्ति से दूसरी संक्रान्ति में परिवर्तित होता है, वह मुहूर्त श्रेष्ठ है।
The worship of Goddess Lalita is intricately connected with the pursuit of both of those worldly pleasures and spiritual emancipation.
स्थेमानं प्रापयन्ती निजगुणविभवैः सर्वथा व्याप्य विश्वम् ।